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Monday, August 17, 2009

चाहत.....

चाहत है फूलों की अगर तुमको आज, जख्म काँटों से खाए हैं ये बात अहम् है I
ठोकरें खाकर गिरना तो बात है आम, उठकर फिरसे चल पडो ये बात अहम् है I

3 comments:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

गिरते हैं शहसवार ही मैदाने-जंग में
वो तिफ़्ल क्या चलेंगे जो घुटनों के बल चले

Chandan Kumar Jha said...

वाह वाह..........!!!!!!!


आपका स्वागत है.

गुलमोहर का फूल

शशांक शुक्ला said...

खूब कहीं