कुछ ख्वाब, आँखों से निकल कर ,पड़े मिले, नदी के किनारे.....!
ओस कि कुछ बूँदें,फिसल गयीं पत्तों से...........!
लफ़्ज कुछ अटक से गए,गले की ख़राश मैं...........!
बुझते चूल्हे की कुछ 'राख्न',बिखर पड़ी नजदीक ही.......!
झुर्रियों के बीच,टिमटिमाती दो ख़ामोश आँखें.......!
रूमानियत भरी शाम को,लौटते 'परिंदों' की तनहइयां ...........!
जिंदगी के इरादों का,ये मुकाम होगा ...............सोचा न था.........!!
दरख्त खुद,जमीं से उखड जायेंगे.........सोचा न था.........!!
इस 'अंजुमन' तक आके,'गर्दिशों' को पाएंगे..........सोचा न था.........!!
3 comments:
Dil hi le liya bhai aapne to...
Naye blog ka pehla comment karne mein hamein bahut garv mehsoos ho raha hai. Aasha hi nahin poorna vishwas hai, ki jaldi hi hamara yeh comment, anginat comments ki bheed mein gum ho jaega, itni saraahanaa milegi aapko...
dhanyavad, guruvar....aashayon ke ye deep yun hi jaleye rakhiga....roshni hum kam nahin hone denge.....hum vachan baadh hue aaj se....
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